फसल में पीजीआर (Plant Growth Regulators) का महत्व और लाभ

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Importance of Plant Growth Regulators and Their Benefits in Agriculture

फसल में पीजीआर (Plant Growth Regulators) का महत्व और लाभ

खेती में ज्यादा उपज और बेहतर गुणवत्ता हर किसान का सपना होता है। इसके लिए उर्वरक और खाद जितने जरूरी हैं, उतना ही महत्वपूर्ण है पौधों का संतुलित विकास और सही समय पर फूल-फल का बनना। इस संतुलन को बनाने में मदद करते हैं – पीजीआर (Plant Growth Regulators)। ये पौधे के हार्मोनल संकेत बदलकर विकास और उपज के परिणामों को नियंत्रित करते हैं। सही समय और सही तरीके से प्रयोग करने पर पीजीआर से उपज, गुणवत्ता और बाजार मूल्य तीनों बेहतर होते हैं।

पीजीआर (Plant Growth Regulators) क्या हैं –

PGR वे रसायन हैं, जो पौधे के भीतर प्राकृतिक हार्मोन जैसी क्रियाओं को प्रेरित करते हैं और विकास की गति, अंगों का अनुपात, फल पकना या फूल झड़ना नियंत्रित करते हैं। ये पौधों के अंदर काम करने वाले हार्मोन जैसे ऑक्सिन, साइटोकिनिन, जिबरेलिन, एथिलीन, एब्सिसिक एसिड आदि की तरह असर करते हैं या उनके निकलने को रोकते या बढ़ाते हैं। इससे पौधे की कोशिकाएँ बढ़ती हैं / बंटती हैं और पौधे में पोषक तत्वों का सही बंटवारा होता है, जिससे उसकी बढ़वार और उत्पादन पर असर पड़ता है।

PGR “खाद” नहीं हैं – वे पोषण का विकल्प नहीं, बल्कि उन पोषक तत्वों के उपयोग और स्थानांतरण का प्रबंधन हैं।

पीजीआर (Plant Growth Regulators) के प्रमुख प्रकार और उनका कार्य –

  1. ऑक्सिन (Auxin) – जड़ विकास, फल-सेट में सहायता और कई बार अंकुरण को प्रेरित करता है।
  2. जिबरेलिन (Gibberellin / GA) – ऊँचाई / लम्बाई वृद्धि, कुछ बीजों में डॉर्मेंसी टूटना और फल के आकार में योगदान।
  3. साइटोकाइनिन (Cytokinin) – कोशिका विभाजन / नयी कलियाँ और पत्तियों का विकास; पत्तियों की उम्र बढ़ाकर दाना-भराव में सहयोग।
  4. एथिलीन (Ethylene / Ethephon) – पकने और पत्तियों / फूलों के झड़ने / एब्सिशन को नियंत्रित करता है।
  5. एब्सिसिक एसिड (ABA) – स्ट्रेस रिस्पॉन्स, स्टोमेटल क्लोजिंग और सूखा-सहिष्णुता में भूमिका।
  6. ग्रोथ-रिटार्डेंट्स (Paclobutrazol, Mepiquat इत्यादि) – अनावश्यक लंबाई रोक कर ऊर्जा को पुष्प / फल में स्थानांतरित करते हैं।

फसल में पीजीआर के उपयोग और लाभ –

अंकुरण और जड़ विकास

  • बीज का अंकुरण तेज़ और समान रूप से होता है।
  • जड़ें मजबूत और गहरी बनती हैं, जिससे पौधा अधिक पोषण और पानी ले पाता है।

फसल की संतुलित वृद्धि

  • पौधा न तो बहुत लंबा होता है और न ही कमजोर।
  • शाखाओं और पत्तियों का विकास सही अनुपात में होता है।

फूल और फल बनने में सुधार

  • फूल झड़ने की समस्या कम होती है।
  • फल सेट बेहतर होता है और आकार समान रहता है।
  • मंडी में अच्छी कीमत मिलने की संभावना बढ़ती है।

उपज और गुणवत्ता में वृद्धि

  • अनाज में दाने भरपूर और मोटे बनते है।
  • सब्ज़ी और फलों में उत्पादन बढ़ता है और क्वालिटी प्रीमियम रहती है।

फसल को प्रतिकूल परिस्थितियों से सुरक्षा

  • सूखा, अधिक गर्मी, ठंड और पानी की कमी जैसी स्थिति में पौधा ज्यादा देर तक हरा-भरा रहता है।
  • स्ट्रेस सहनशीलता बढ़ती है।

पीजीआर खेती में एक आधुनिक और वैज्ञानिक तकनीक है, जो फसल की उपज बढ़ाने और गुणवत्ता सुधारने में मदद करता है। लेकिन याद रखें – इसका उपयोग हमेशा सही मात्रा, सही समय और सही तरीके से ही करना चाहिए।

सही सलाह लेकर किया गया पीजीआर का प्रयोग किसानों को कम लागत में ज्यादा मुनाफा दिला सकता है।

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Author: Vishal UpadhyaySenior Regional Agronomist at Mosaic India, (M.B.A. in Agribusiness, M.Sc. in Agriculture).

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