
गन्ने की खेती में पोटाश (पोटैशियम) की महत्वपूर्ण भूमिका
गन्ना भारतीय कृषि की एक प्रमुख फसल है, जो चीनी उत्पादन का मुख्य स्रोत होने के साथ-साथ किसानों की आय और औद्योगिक उपयोग के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है। गन्ने की अधिक उपज और बेहतर गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए पोषण प्रबंधन में पोटाश (पोटैशियम) की अहम भूमिका होती है। यह न केवल गन्ने के विकास में सहायक होता है बल्कि फसल की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है।

गन्ने की खेती में पोटाश का महत्व
- उपज और गुणवत्ता में वृद्धि: पोटाश गन्ने में शर्करा (सुक्रोज) के निर्माण और संचय को बढ़ाने में मदद करता है, जिससे गन्ने का मिठास और वजन दोनों बढ़ते है। यह गन्ने के तने को मजबूत बनाकर अच्छी गुणवत्ता की फसल सुनिश्चित करता है।
- जल संतुलन बनाए रखना: पोटाश पौधों में जल संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। यह पौधों की कोशिकाओं में जल के अवशोषण और परिवहन को नियंत्रित करता है, जिससे सूखे की स्थिति में भी गन्ने की जल धारण क्षमता बनी रहती है और पौधा हरा-भरा रहता है।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा: पोटाश पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और गन्ने को फफूंद, बैक्टीरिया और अन्य रोगजनकों से बचाने में मदद करता है। यह पौधों की कोशिका भित्ति को मजबूत बनाता है, जिससे कीटों और बीमारियों का प्रभाव कम होता है।
- पोषक तत्वों का संतुलन बनाए रखना: पोटाश अन्य आवश्यक पोषक तत्वों, जैसे नाइट्रोजन और फॉस्फोरस, के अवशोषण में सुधार करता है। यह जड़ों को मजबूत बनाकर पोषक तत्वों और पानी के अवशोषण की क्षमता को बढ़ाता है, जिससे गन्ने का समग्र विकास बेहतर होता है।
- पौधों की वृद्धि और विकास: पोटाश गन्ने में कोशिका विभाजन और विस्तार को प्रोत्साहित करता है, जिससे गन्ने की लंबाई और घनत्व बढ़ता है। यह प्रकाश संश्लेषण और ऊर्जा निर्माण की प्रक्रिया में भी सहायक होता है, जिससे फसल का स्वास्थ्य और उपज बेहतर होती है।
पोटाश की कमी के लक्षण
अगर गन्ने की फसल को आवश्यक मात्रा में पोटाश नहीं मिलता, तो निम्नलिखित समस्याएं हो सकती है –
- पत्तियों के किनारे पीले या भूरे पड़ने लगते है।
- पौधे का विकास रुक जाता है।
- गन्ने का तना कमजोर और पतला हो जाता है।
- उपज में कमी और गन्ने में शर्करा की मात्रा घट जाती है।
- फसल में रोगों और कीटों का प्रभाव अधिक दिखाई देता है।

पोटाश का सही उपयोग
गन्ने की खेती में मिट्टी परीक्षण के आधार पर पोटाश का उपयोग किया जाना चाहिए। पोटाश का उपयोग निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता है –
- गन्ना लगाते समय: पोटाश को बेसल डोज के रूप में खेत में मिलाना चाहिए।
- मिट्टी चढ़ाते समय: पोटाश को टॉप ड्रेसिंग के रूप में दिया जा सकता है।
- ड्रिप सिंचाई: यदि ड्रिप सिस्टम उपलब्ध है, तो पोटाश को तरल रूप में फर्टिगेशन के माध्यम से दिया जा सकता है।
- फोलियर स्प्रे: हल्की मिट्टी वाले क्षेत्रों में पोटाश का छिड़काव किया जा सकता है, जिससे फसल को तेजी से पोषक तत्व मिल सकें।
निष्कर्ष –
गन्ने की अधिक उपज और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए पोटाश (पोटैशियम) एक अत्यंत महत्वपूर्ण पोषक तत्व है। यह न केवल शर्करा निर्माण में सहायक होता है बल्कि जल संतुलन, रोग प्रतिरोधक क्षमता और पोषक तत्वों के संतुलन को भी बनाए रखता है। पोटाश की सही मात्रा और समय पर उपयोग से गन्ने की फसल स्वस्थ, मजबूत और उच्च गुणवत्ता वाली होती है, जिससे किसानों को अधिक उत्पादन और बेहतर मुनाफा प्राप्त होता है।