
गेहूँ की खेती में जीरो टिलेज का महत्व
खेतीबाड़ी और बागवानी में कृषि यंत्रों का महत्व दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। आज खेती-किसानी के कामों से संबंधित कई प्रकार के कृषि यंत्र व मशीनें आ गई है, जिनसे कम समय और श्रम में अधिक कार्य लिया जा सकता है। इनसे किसानों के खेतीबाड़ी और बागवानी के काम आसानी से पूरे हो जाते हैं।
ऐसी ही एक मशीन है जो गेहूँ की बुवाई के लिए उपयोग में ली जाती है जिसका नाम जीरो टिलेज सीड ड्रिल मशीन है। जीरो टिलेज (बिना जुताई के सीधी बुआई) विधि का तात्पर्य फसल को बिना जुताई किये, एक बार में ही जीरो टिलेज सीड ड्रिल मशीन द्वारा फसल की बुआई करने से है। इस विधि को जीरो टिल, नो ट्रिल या सीधी बुआई के नाम से भी जाना जाता है। सामान्य भाषा में इस विधि के अन्तर्गत पिछली फसल के 30 से 40 प्रतिशत अवशेष खेत में रहने चाहिए।
जीरो टिलेज सीड ड्रिल मशीन से बुवाई करने के लाभ –
- जीरो टिलेज से कम खर्चे में ज्यादा पैदावार ली जा सकती है।
- कम जुताई तथा जुताई में लगने वाला समय व खर्च कम होता है।
- फसल जल्दी निकलती (उगती) है और पौधों में कल्ले भी अधिक निकलते है।
- जीरो टिलेज मशीन से बुवाई करने पर कम खाद की आवश्यकता पड़ती है।
- जीरो टिलेज मशीन से बुवाई करने पर नमी बनी रहती है और पानी की बचत होती है।
- जीरो टिलेज मशीन से बुवाई करने पर मजदूरी का खर्चा बचता है।
- टिलेज मशीन से बुवाई करने पर फसल की लागत कम आती है जिससे पूंजी की बचत होती है।
जीरो टिलेज के लिए ध्यान देने योग्य बातें –
- गेहूँ की कटाई करते समय यह ध्यान रखें कि गेहूँ के डंठल 15-20 सेंटीमीटर से बड़े न हो, जिससे मशीन सही से चल सके।
- जीरो टिलेज से बुवाई करते समय खेत में नमी होना अवश्यक है।
- अधिक नमी और सूखे में जीरो टिलेज से बुवाई नहीं करनी चाहिये।
- बुवाई शुरू करने से पहले मशीन को समायोजित करना आवश्यक है, जिससे खाद एवं बीज उचित मात्रा में खेत में डाले जा सके।