सूक्ष्म जीवों का मृदा उत्पादकता और फसल उपज पर लाभ

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Role of Microorganisms in Agriculture

सूक्ष्म जीवों का मृदा उत्पादकता और फसल उपज पर लाभ

फसल उत्पादन बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका मिट्टी की उर्वरता और उसमें मौजूद सूक्ष्मजीव (माइक्रोब्स) फसल उत्पादन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होते है। मिट्टी में अनेक प्रकार के सूक्ष्मजीव जैसे बैक्टीरिया, फंगी, एक्टिनोमाइसेट्स और वायरस मौजूद होते है, जो मृदा की गुणवत्ता को सुधारने और पौधों को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करने में मदद करते है।

आइये जानते है, ये सूक्ष्मजीव कैसे मिट्टी की उर्वरता बढ़ाते है और फसल उत्पादन को बढ़ावा देते है –

नाइट्रोजन स्थिरीकरण (Nitrogen Fixation): नाइट्रोजन पौधों की वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण पोषक तत्वों में से एक है। वायुमंडल में नाइट्रोजन की प्रचुर मात्रा होती है, लेकिन पौधे इसे सीधे अवशोषित नहीं कर सकते। कुछ बैक्टीरिया, जैसे राइजोबियम (Rhizobium), पौधों की जड़ों के साथ सहजीवी संबंध स्थापित करते है और वायुमंडलीय नाइट्रोजन को पौधों के उपयोग योग्य नाइट्रेट और अमोनिया में परिवर्तित करते है। यह प्रक्रिया नाइट्रोजन फिक्सेशन कहलाती है। राइजोबियम विशेष रूप से दालों जैसी फसलों की जड़ों में गांठें बनाकर नाइट्रोजन का फिक्सेशन करते है, जिससे उन पौधों को नाइट्रोजन की प्रचुर मात्रा प्राप्त होती है। इस प्रक्रिया से किसान रासायनिक उर्वरकों का उपयोग कम कर सकते है और उत्पादन को भी बढ़ा सकते है।

जैविक अपघटन (Decomposition): मिट्टी में उपस्थित सूक्ष्मजीव पौधों और पशुओं के मृत अवशेषों का अपघटन करते है। इस प्रक्रिया में, फंगी और बैक्टीरिया जैसे सूक्ष्मजीव कार्बनिक पदार्थों को विघटित करते है और उन्हें पौधों के लिए उपयोगी पोषक तत्वों में बदलते है। जैविक अपघटन मिट्टी में ह्यूमस (Humus) के स्तर को बढ़ाता है, जिससे मृदा की जलधारण क्षमता और संरचना में सुधार होता है। ह्यूमस से मिट्टी में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, और पोटैशियम जैसे आवश्यक तत्व मिलते है, जो पौधों की वृद्धि के लिए आवश्यक होते है। जैविक अपघटन प्रक्रिया से मिट्टी का प्राकृतिक पुनर्चक्रण होता है, जो मिट्टी को लगातार उर्वर बनाए रखने में सहायक होता है।

रोग नियंत्रण (Disease Control): मिट्टी में कुछ लाभकारी सूक्ष्मजीव पौधों के लिए हानिकारक रोगाणुओं का नियंत्रण करते है। ये सूक्ष्मजीव पौधों की जड़ों के आसपास सुरक्षा कवच बनाते है, जो हानिकारक रोगाणुओं जैसे फंगल रोगों, बैक्टीरिया और वायरस से बचाव में सहायक होता है। उदाहरण के लिए, ट्राइकोडर्मा(Trichoderma) नामक एक फंगस फसलों की जड़ों में बस कर अन्य हानिकारक फंगी को नियंत्रित करता है। इसी प्रकार, बैसिलस सबटिलिस (Bacillus subtilis) जैसे बैक्टीरिया भी पौधों की जड़ों के चारों ओर सुरक्षात्मक वातावरण बनाते है। इससे फसल रोगों का प्रभाव कम होता है, पौधों की जड़ों में सुधार होता है, और संपूर्ण फसल उत्पादन बढ़ता है।

फॉस्फेट घुलनशीलता (Phosphate Solubilization): फॉस्फोरस पौधों की वृद्धि के लिए एक अन्य महत्वपूर्ण पोषक तत्व है, लेकिन मिट्टी में अधिकांश फॉस्फोरस अघुलनशील रूप में होता है, जो पौधों के लिए उपलब्ध नहीं होता। कुछ सूक्ष्मजीव, जैसे कि फॉस्फेट सॉल्यूबिलाइजिंग बैक्टीरिया (PSB), अघुलनशील फॉस्फोरस को घुलनशील रूप में परिवर्तित करते है, जिससे पौधे इसे आसानी से अवशोषित कर सकते है। यह प्रक्रिया पौधों की जड़ों और अन्य भागों की वृद्धि में सहायक होती है और फसल की पैदावार में वृद्धि करती है। फॉस्फेट सॉल्यूबिलाइजिंग बैक्टीरिया के उपयोग से रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता भी कम हो जाती है।

मिट्टी की संरचना में सुधार (Improvement in Soil Structure): सूक्ष्मजीवों द्वारा उत्पन्न जैविक पदार्थ मिट्टी की संरचना में सुधार करते है। ये जैविक पदार्थ मिट्टी के कणों को आपस में जोड़ते है, जिससे मिट्टी की संरचना स्थिर होती है। बेहतर मिट्टी संरचना के कारण उसमें जलधारण क्षमता में सुधार होता है। ऐसे वातावरण में पौधों की जड़ें आसानी से गहराई में फैल सकती है और आवश्यक पोषक तत्वों को अवशोषित कर सकती है। इससे पौधे अधिक स्वस्थ होते है और उनकी पैदावार बढ़ती है। मिट्टी की संरचना में सुधार से फसल उत्पादन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

जैविक खाद (Biofertilizers): सूक्ष्मजीवों से बने जैविक खाद, जिन्हें बायोफर्टिलाइजर कहते है, आजकल तेजी से लोकप्रिय हो रहे है। ये खाद मिट्टी में पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ाते है और उसके स्वास्थ्य को भी बनाए रखते है। रासायनिक उर्वरकों की तुलना में जैविक खाद पर्यावरण के लिए अधिक सुरक्षित होते है और मिट्टी की गुणवत्ता को बनाए रखते है। जैसे, अजोस्पिरिलम (Azospirillum) और एजोटोबैक्टर (Azotobacter) नाइट्रोजन फिक्सेशन के लिए उपयोगी जैविक खाद है, जबकि पीएसबी फॉस्फेट की उपलब्धता बढ़ाने के लिए प्रभावी होते है। जैविक खाद का उपयोग फसलों की उत्पादकता को बढ़ाने और मिट्टी के दीर्घकालिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में सहायक होता है।

मिट्टी में पाए जाने वाले सूक्ष्मजीव फसल उत्पादन में वृद्धि के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। ये सूक्ष्मजीव न केवल पौधों को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करते है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता, संरचना, और रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाते है। सूक्ष्मजीवों का सही उपयोग करके किसान अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते है, लागत कम कर सकते है, और पर्यावरण के प्रति भी अपनी जिम्मेदारी निभा सकते है। जैविक खेती की दिशा में बढ़ते कदमों के साथ सूक्ष्मजीव आधारित कृषि प्रणाली न केवल किसानों के लिए लाभकारी है, बल्कि पर्यावरण और समाज के लिए भी सुरक्षित और स्थायी समाधान है।

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Author: Vishal UpadhyayRegional Agronomist at Mosaic India, (M.Sc. in Agriculture).

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